कशाला हवी दारु
घरी उपाशी मरते पारु.....।।
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दारुपायी दादला मह्या
पार गेला वाया.....
मायबाप सरकार
दाखवा की जरा दया...।।
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जागोजागी सरकार
दुकान थाटा म्हणते
रस्त्याच्या कडेला
दारु वाटा म्हणते......।।
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एक दिली नोट
की मिळते दोन घोट
नाचु लागतो राजा
करुन वर बोट...
राणी असते घरी
रिकामे तिचे पोट
तुम्हीच सांगा सरकार
द्यायचं का मग वोट.....।।
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महादेवाच्या पिंडीला
घालीत होते पाणी.....
जागोजागी वाजतीया
दारुचीच गाणी.....।।
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इवल्या इवल्या झाडांचीबी
पानं झडलेली........
कोवळ्या कोवळ्या वयात
त्यांनाबी चढलेली......।।
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इवले इवले हरीण
त्याचे इवले इवले पाय
ऐकलंत काय ऐकलंत काय
दारुबंदी आता होणार हाय.......।।
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#असंच काहितरी.....
शशिकांत शांताबाई मारोती बाबर
घरी उपाशी मरते पारु.....।।
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दारुपायी दादला मह्या
पार गेला वाया.....
मायबाप सरकार
दाखवा की जरा दया...।।
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जागोजागी सरकार
दुकान थाटा म्हणते
रस्त्याच्या कडेला
दारु वाटा म्हणते......।।
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एक दिली नोट
की मिळते दोन घोट
नाचु लागतो राजा
करुन वर बोट...
राणी असते घरी
रिकामे तिचे पोट
तुम्हीच सांगा सरकार
द्यायचं का मग वोट.....।।
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महादेवाच्या पिंडीला
घालीत होते पाणी.....
जागोजागी वाजतीया
दारुचीच गाणी.....।।
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इवल्या इवल्या झाडांचीबी
पानं झडलेली........
कोवळ्या कोवळ्या वयात
त्यांनाबी चढलेली......।।
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इवले इवले हरीण
त्याचे इवले इवले पाय
ऐकलंत काय ऐकलंत काय
दारुबंदी आता होणार हाय.......।।
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#असंच काहितरी.....
शशिकांत शांताबाई मारोती बाबर
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