*Independence day special -----------*
💥🇮🇳 तिरंगा 🇮🇳💥
बोल रहा है तिरंगा
मन की बाते सारी, आज खोल रहा है तिरंगा
वो दिनभी क्या दिन थे
मेरे खातिर मरने को, हरकोई था तैयार
भारत माँ के बच्चे बच्चेने, सीने पे ले लिये वार
आझादी का सपना था
बच्चा बच्चा अपना था
मर मिटने का ,नही था कोई डर
याद न आती घरवाली , ना याद आता घर
उडने लगेथे हवाओं मे, फैलाये अपने पर
ऐसी और भी बातें है
सारी यादें खोल रहा है तिरंगा
बोल रहा है तिरंगा ॥१॥
आझादी को बरसों हो गये
फिर भी बेहाल है हिंदुस्तान
आझादी की कीमत को
शायद भुला है हिंदुस्तान
इसीलिए माँ,बहन, बेटी की
इज्जत का रहा नही सम्मान
कही घोटाला,कही बलात्कार
शहिदों के कफन को, बस यही मिला सत्कार
कारगिल की बातोंको, अबतक भुला ना पाया हुँ
न जाने कितने शहिदोंके ,सीनेपे मै सोया हुँ
काश्मीर की माटी से,सियाचिन की घाटी से
बोल रहा है तिरंगा ॥२॥
कहि मंहगाई,कही दहशत है छाई
कभी घाटी ,कभी पर्वत पर
मिट्टी बार बार है रोई
बंद करो अब तो आतंग,बस हो गयी ये जंग
बार बार कहता है तिरंगा
कितनें आयें कितने गये
हिमालय की चोटीपे लहराता है तिरंगा
भले मै छुँ लू गगन, फिरभी दुःखी है मेरा मन
लगा लगाके मलई , गोरी करली चमडी
लेकीन कालें हो गयें मन
कह सारी बातें ये, रो रहा है तिरंगा
सीसक सीसक के बोल रहा है तिरंगा ॥३॥
✍शशिकांत मा. बाबर
( बोररांजणी,जि. जालना )
📱९१३०६२०८३४
💥🇮🇳 तिरंगा 🇮🇳💥
बोल रहा है तिरंगा
मन की बाते सारी, आज खोल रहा है तिरंगा
वो दिनभी क्या दिन थे
मेरे खातिर मरने को, हरकोई था तैयार
भारत माँ के बच्चे बच्चेने, सीने पे ले लिये वार
आझादी का सपना था
बच्चा बच्चा अपना था
मर मिटने का ,नही था कोई डर
याद न आती घरवाली , ना याद आता घर
उडने लगेथे हवाओं मे, फैलाये अपने पर
ऐसी और भी बातें है
सारी यादें खोल रहा है तिरंगा
बोल रहा है तिरंगा ॥१॥
आझादी को बरसों हो गये
फिर भी बेहाल है हिंदुस्तान
आझादी की कीमत को
शायद भुला है हिंदुस्तान
इसीलिए माँ,बहन, बेटी की
इज्जत का रहा नही सम्मान
कही घोटाला,कही बलात्कार
शहिदों के कफन को, बस यही मिला सत्कार
कारगिल की बातोंको, अबतक भुला ना पाया हुँ
न जाने कितने शहिदोंके ,सीनेपे मै सोया हुँ
काश्मीर की माटी से,सियाचिन की घाटी से
बोल रहा है तिरंगा ॥२॥
कहि मंहगाई,कही दहशत है छाई
कभी घाटी ,कभी पर्वत पर
मिट्टी बार बार है रोई
बंद करो अब तो आतंग,बस हो गयी ये जंग
बार बार कहता है तिरंगा
कितनें आयें कितने गये
हिमालय की चोटीपे लहराता है तिरंगा
भले मै छुँ लू गगन, फिरभी दुःखी है मेरा मन
लगा लगाके मलई , गोरी करली चमडी
लेकीन कालें हो गयें मन
कह सारी बातें ये, रो रहा है तिरंगा
सीसक सीसक के बोल रहा है तिरंगा ॥३॥
✍शशिकांत मा. बाबर
( बोररांजणी,जि. जालना )
📱९१३०६२०८३४
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